Company Logo

Vanshika

kumarivanshika01232@gmail.com
WEFRU9450291115202
Scan to visit website

Scan QR code to visit our website

Blog by Vanshika | Digital Diary

" To Present local Business identity in front of global market"

Meri Kalam Se Digital Diary Submit Post


ध्वनि


हम प्रतिदिन विभिन्न स्रोतों जैसे मानव पक्षियों घाटियों मशीनों बहनों टेलीविजन रेडियो आदि की ध्वनि सुनते हैं ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जो हमारे कानों में स्वर्ण का संवेदन उत्पन्न करती है ऊर्जा के अन्य रूप ही है जैसे आंतरिक ऊर्जा प्रकाश ऊर्जा आई पिछले अध्याय में आप यांत्रिक ऊर्जा का अध्ययन कर चुके हैं आपको ऊर्जा संरक्षण के बारे में ज्ञात है इसके अनुसार आप ऊर्जा को ना तो उत्पन्न कर सकते हैं और ना ही उस... Read More

हम प्रतिदिन विभिन्न स्रोतों जैसे मानव पक्षियों घाटियों मशीनों बहनों टेलीविजन रेडियो आदि की ध्वनि सुनते हैं ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जो हमारे कानों में स्वर्ण का संवेदन उत्पन्न करती है ऊर्जा के अन्य रूप ही है जैसे आंतरिक ऊर्जा प्रकाश ऊर्जा आई पिछले अध्याय में आप यांत्रिक ऊर्जा का अध्ययन कर चुके हैं आपको ऊर्जा संरक्षण के बारे में ज्ञात है इसके अनुसार आप ऊर्जा को ना तो उत्पन्न कर सकते हैं और ना ही उसका विनाश कर सकते हैं आप इसे केवल एक से दूसरे रूप में रूपांतरित कर सकते हैं जब आप ताली बजाते हैं तो ध्वनि उत्पन्न होती है क्या आप अपनी ऊर्जा का उपयोग किए बिना ध्वनि उत्पन्न कर सकते हैं ध्वनि उत्पन्न करने के लिए अपने ऊर्जा के किस रूप का उपयोग किया इस अध्याय में हम सीखेंगे की ध्वनि कैसे उत्पन्न होती है और किसी माध्यम में यह किस प्रकार संचालित होकर हमारे कानों द्वारा ग्रहण की जाती है

 ध्वनि का संचरन

 हम जानते हैं कि ध्वनि कंपन करते हुए वस्तुओं द्वारा उत्पन्न होती है धर्म या पदार्थ जिससे होकर ध्वनि संचालित होती है मध्य कहलाती है मध्य के कारण स्वयं आगे नहीं बढ़ते लेकिन विश्व आगे बढ़ जाता है 

 कंपन का अर्थ 

कंपन का अर्थ होता है किसी वस्तु का तेजी से बार-बार इधर-उधर गति करना

 ध्वनि तारण के अभिलक्षण 

 किसी ध्वनि तरंग के निम्नलिखित अभिलक्षण होते हैं

 आवृत्ति, आयाम, वेग

 ध्वनि तरंग को ग्राफ रूप में दिखाया गया है जो प्रदर्शित करता है कि जब ध्वनि तरंग किसी माध्यम में गति करती है तो घंटा तथा दाब में कैसे परिवर्तन होता है किसी निश्चित समय पर माध्यम का गणतंत्र तथा दोनों ही उनके स्रोत मन से ऊपर और नीचे दूरी के साथ परिवर्तन होते हैं प्रदर्शित करते हैं कि जब ध्वनि तरंग माध्यम में संचालित होती है तो घनत्व तथा दाब में क्या उतार-चढाव होते हैं

 ध्वनि का परावर्तन

 किसी ठोसिया तरफ से टकराकर धन्य इस प्रकार वापस लौटी है जैसे कोई रबड़ की गेंद किसी दीवार से टकराकर वापस आती है प्रकाश की भांति ध्वनि भी किसी ठोस या धर्म की सतह से परिवर्तित होती है तथा परावर्तन के उन्हें नियमों का पालन करती है जिनका अध्ययन आप अपनी पिछली कक्षाओं में कर चुके हैं परावर्तक सतह पर खींचे गए फिल्म तथा ध्वनि के अवतल होने की दशा तथा परिवर्तन होने की दिशा के बीच बने कौन आपस में बराबर होते हैं और यह तीनों दर्शन एक ही ताल में होते हैं ध्वनि तरंगों के परिवर्तनों के लिए बड़े आकर के अवरोधों की आवश्यकता होती है जो चाहे पॉलिश किए हुए हो या खुरदरे 

 अनुरण 

 किसी बड़े हॉल में उत्पन्न होने वाले ध्वनि दीवारों से बराबर परिवर्तन के कारण काफी समय तक बने रहती है जब तक की यह इतनी कम ना हो जाए कि यह सुनाई ना पड़े यहां बराबर परिवर्तन जिसके कारण ध्वनि निर्भर होता है  अनुरण कहलाता है

 प्रावधानी के अनुप्रयोग 

 प्राधनीय उच्च आकृति की तरंगे है प्राधनीय उच्च आकृति की तरंगे है प्रावधानिया अवरोधों की उपस्थिति में भी एक निश्चित पद पर गण कर सकती है आंखों को तथा चिकित्सा के क्षेत्र में प्रावधानियां का विस्तृत रूप में प्रयोग किया जाता है 

 

 

 


Read Full Blog...

  • Author:- kumarivanshika01232@gmail.com
  • Date:- 2025:12:11
  • 4 Views


कार्य तथा ऊर्जा


पिछले कुछ अध्याय में हम वस्तुओं की गति के वर्णन करने के तरीके गति का कारण तथा गुरुत्वाकर्षण के बारे में चर्चा कर चुके हैं कार्य एक अन्य अवधारणा है जो हमें अनेक प्राकृतिक घटनाओं को समझने तथा उनकी व्याख्या करने में सहायता करती ऊर्जा तथा शक्ति का कार्य से निकट संबंध है इस अध्याय में हम इन अवधारणाओं के बारे में अध्ययन करेंगे  कार्य  कार्य क्या है हम अपने दैनिक जीवन में जिस रूप में कार्य शब्द... Read More

पिछले कुछ अध्याय में हम वस्तुओं की गति के वर्णन करने के तरीके गति का कारण तथा गुरुत्वाकर्षण के बारे में चर्चा कर चुके हैं कार्य एक अन्य अवधारणा है जो हमें अनेक प्राकृतिक घटनाओं को समझने तथा उनकी व्याख्या करने में सहायता करती ऊर्जा तथा शक्ति का कार्य से निकट संबंध है इस अध्याय में हम इन अवधारणाओं के बारे में अध्ययन करेंगे

 कार्य

 कार्य क्या है हम अपने दैनिक जीवन में जिस रूप में कार्य शब्द का प्रयोग करते हैं और जिस रूप में हम इसे विज्ञान में उपयोग करते हैं उनमें अंतर है इस बात को स्पष्ट करने के लिए लिए कुछ उदाहरण पर विचार करें

 कठोर काम करने के बावजूद कुछ अधिक 'कार्य 'नहीं!

 कमलीहम कार्य को वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार देखे तो इस कठोर काम में बहुत थोड़ा कार्य सम्मिलित है परीक्षा की तैयारी कर रही है वह अध्ययन में बहुत सा समय व्यतीत करती है वह पुस्तक पढ़ती है चित्र बनाती है अपने विचारों को सुबह व्यवस्थित करती है प्रश्न पत्रों के एकत्रित करती है कक्षाओं में व्यवस्थित रहती है अपने मित्रों के साथ समस्याओं पर विचार विमर्श करती है तथा प्रयोग करती है इन क्रियाकलापों पर वह बहुत सी ऊर्जा व्यय करती है सामान्य बोलचाल में वह कठोर कम कर रही है यदि हम कार्य को वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार देखे तो इस कठोर काम में बहुत थोड़ा कार्य सम्मिलित है

 कार्य की वैज्ञानिक संकलन 

 विज्ञान की विज्ञान की दृष्टिकोण से हम कार्य को किस प्रकार देखे और परिभाषित करते हैं यह समझने के लिए यह कुछ परिस्थितियों पर विचार करें किसी सतह पर रख एक गुटके को धकेल गुटखा कुछ दूरी तय करता है आपने गुटके पर कुछ बोल लगाया जिससे गुटका विस्थापित हो गया उसे स्थिति में कार्य हुआ एक लकड़ी किसी टोली को खींचती है और ट्राली कुछ देर तक चलती है लकड़ी इतनी ट्रॉली यह विस्थापित हुई इसलिए कार्य किया गया

 एक नियत बल द्वारा किया गया कार्य

 विज्ञान में कार्य को कैसे परिभाषित किया जाता है इसे समझने के लिए पहले हम उसे स्थिति पर विचार करते हैं जब बाल विस्थापन की दशा में लग रहा हो मान लीजिए किसी वस्तु पर एक नियत बल एफ कार्य करता है मान लीजिए की वस्तु बाल की दिशा में एस दूरी विस्थापित हुई मान लीजिए व किया गया कार्य है कार्य की परिभाषा के अनुसार किया गया कार्य बल तथा विस्थापन के गुणनफल के बराबर है

 किया गया कार्य = बाल × विस्थापन

  ऊर्जा

 सौभाग्य से जी संसार में हम रहते हैं उसमें ऊर्जा अनेक रूपों में विद्वान है विभिन्न रूपों में स्थित ऊर्जा गतिज ऊर्जा उसमें ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा तथा प्रकाश ऊर्जा सम्मिलित है

   कार्य करने की दर 

 क्या हम सब एक ही दूर से कार्य करते हैं क्या मशीन ऊर्जा का उपयोग तथा रूपांतरण समांतर से करती है अभिकर्ता अर्जेंट जो ऊर्जा रूपांतरण समांतर से करती है अभिकर्ता अर्जेंट जो ऊर्जा रूपांतरण करते हैं विभिन्न दरों से कार्य करते हैं 

 

 


Read Full Blog...

  • Author:- kumarivanshika01232@gmail.com
  • Date:- 2025:12:11
  • 4 Views


कार्य तथा ऊर्जा


पिछले कुछ अध्याय में हम वस्तुओं की गति के वर्णन करने के तरीके गति का कारण तथा गुरुत्वाकर्षण के बारे में चर्चा कर चुके हैं कार्य एक अन्य अवधारणा है जो हमें अनेक प्राकृतिक घटनाओं को समझने तथा उनकी व्याख्या करने में सहायता करती ऊर्जा तथा शक्ति का कार्य से निकट संबंध है इस अध्याय में हम इन अवधारणाओं के बारे में अध्ययन करेंगे  कार्य  कार्य क्या है हम अपने दैनिक जीवन में जिस रूप में कार्य शब्द... Read More

पिछले कुछ अध्याय में हम वस्तुओं की गति के वर्णन करने के तरीके गति का कारण तथा गुरुत्वाकर्षण के बारे में चर्चा कर चुके हैं कार्य एक अन्य अवधारणा है जो हमें अनेक प्राकृतिक घटनाओं को समझने तथा उनकी व्याख्या करने में सहायता करती ऊर्जा तथा शक्ति का कार्य से निकट संबंध है इस अध्याय में हम इन अवधारणाओं के बारे में अध्ययन करेंगे

 कार्य

 कार्य क्या है हम अपने दैनिक जीवन में जिस रूप में कार्य शब्द का प्रयोग करते हैं और जिस रूप में हम इसे विज्ञान में उपयोग करते हैं उनमें अंतर है इस बात को स्पष्ट करने के लिए लिए कुछ उदाहरण पर विचार करें

 कठोर काम करने के बावजूद कुछ अधिक 'कार्य 'नहीं!

 कमलीहम कार्य को वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार देखे तो इस कठोर काम में बहुत थोड़ा कार्य सम्मिलित है परीक्षा की तैयारी कर रही है वह अध्ययन में बहुत सा समय व्यतीत करती है वह पुस्तक पढ़ती है चित्र बनाती है अपने विचारों को सुबह व्यवस्थित करती है प्रश्न पत्रों के एकत्रित करती है कक्षाओं में व्यवस्थित रहती है अपने मित्रों के साथ समस्याओं पर विचार विमर्श करती है तथा प्रयोग करती है इन क्रियाकलापों पर वह बहुत सी ऊर्जा व्यय करती है सामान्य बोलचाल में वह कठोर कम कर रही है यदि हम कार्य को वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार देखे तो इस कठोर काम में बहुत थोड़ा कार्य सम्मिलित है

 कार्य की वैज्ञानिक संकलन 

 विज्ञान की विज्ञान की दृष्टिकोण से हम कार्य को किस प्रकार देखे और परिभाषित करते हैं यह समझने के लिए यह कुछ परिस्थितियों पर विचार करें किसी सतह पर रख एक गुटके को धकेल गुटखा कुछ दूरी तय करता है आपने गुटके पर कुछ बोल लगाया जिससे गुटका विस्थापित हो गया उसे स्थिति में कार्य हुआ एक लकड़ी किसी टोली को खींचती है और ट्राली कुछ देर तक चलती है लकड़ी इतनी ट्रॉली यह विस्थापित हुई इसलिए कार्य किया गया

 एक नियत बल द्वारा किया गया कार्य

 विज्ञान में कार्य को कैसे परिभाषित किया जाता है इसे समझने के लिए पहले हम उसे स्थिति पर विचार करते हैं जब बाल विस्थापन की दशा में लग रहा हो मान लीजिए किसी वस्तु पर एक नियत बल एफ कार्य करता है मान लीजिए की वस्तु बाल की दिशा में एस दूरी विस्थापित हुई मान लीजिए व किया गया कार्य है कार्य की परिभाषा के अनुसार किया गया कार्य बल तथा विस्थापन के गुणनफल के बराबर है

 किया गया कार्य = बाल × विस्थापन

  ऊर्जा

 सौभाग्य से जी संसार में हम रहते हैं उसमें ऊर्जा अनेक रूपों में विद्वान है विभिन्न रूपों में स्थित ऊर्जा गतिज ऊर्जा उसमें ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा तथा प्रकाश ऊर्जा सम्मिलित है

   कार्य करने की दर 

 क्या हम सब एक ही दूर से कार्य करते हैं क्या मशीन ऊर्जा का उपयोग तथा रूपांतरण समांतर से करती है अभिकर्ता अर्जेंट जो ऊर्जा रूपांतरण समांतर से करती है अभिकर्ता अर्जेंट जो ऊर्जा रूपांतरण करते हैं विभिन्न दरों से कार्य करते हैं 

 

 


Read Full Blog...

  • Author:- kumarivanshika01232@gmail.com
  • Date:- 2025:12:11
  • 4 Views


महर्षि वाल्मीकि


संस्कृत भाषा के आदि कवि और रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है उपनिषद के विवरण के अनुसार महर्षि कश्यप और अदिति के नवम पुत्र वरुण से इनका जन्म हुआ था एक बार ध्यान में बैठे इनके शरीर को दीमकों ने भाभी बनाकर ढक लिया तपस्या पूरी करके जब में दीमक की भाभी से बाहर निकले तो लोग इन्हें वाल्मीकि कहने लगे दीमक की भाभी को भी बोल में रहते हैं इनके शरीर को दीमकों... Read More

संस्कृत भाषा के आदि कवि और रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है उपनिषद के विवरण के अनुसार महर्षि कश्यप और अदिति के नवम पुत्र वरुण से इनका जन्म हुआ था एक बार ध्यान में बैठे इनके शरीर को दीमकों ने भाभी बनाकर ढक लिया तपस्या पूरी करके जब में दीमक की भाभी से बाहर निकले तो लोग इन्हें वाल्मीकि कहने लगे दीमक की भाभी को भी बोल में रहते हैं इनके शरीर को दीमकों ने भाभी बनाकर ढक लिया तपस्या पूरी करके जब में दीमक की भाभी से बाहर निकले तो लोग इन्हें वाल्मीकि कहने लगे दीमक की भाभी को भी बोल में रहते हैं तमसा नदी

तमसा नदी के तट पर महर्षि वाल्मीकि का आश्रम था एक दिन इसी नदी के तट पर उनके सामने रियाद ने क्रोध पक्षी के जोड़े में से एक को मार डाला जब दयाल महर्षि वाल्मीकि के मुख से इस कोरोना दृश्य को देखकर एक चांद निकला यह संस्कृत भाषा में प्रथम अनुष्टुप छंद का शोक था भगवान श्री राम की कथा के आधार पर महर्षि वाल्मीकि ने रामायण महाकाव्य की रचना की थी सीता जी ने अपने वनवास का अंतिम समय महर्षि के आश्रम में व्यतीत किया था महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में ही लव और कुश का जन्म हुआ था लव कुश की शिक्षा दीक्षा महर्षि वाल्मीकि की देखरेख में ही हुई थी अष्विन मास की शरद पूर्णिमा को महर्षि वाल्मीकि का जन्म दिवस मनाया जाता है एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार वाल्मीकि के महर्षि बनने से पहले उनका नाम रत्नाकर था नाराज मनी से पेट होने के बाद उनके जीवन की दशा बदल गई

 महर्षि वाल्मीकि ने प्रथम महाकाव्य रामायण की रचना करके प्राणियों को सद्भावना के पथ पर चलने को प्रेरित किया

 

 


Read Full Blog...

  • Author:- kumarivanshika01232@gmail.com
  • Date:- 2025:12:11
  • 2 Views


गति


 गति का वर्णन  हम किसी वस्तु की स्थिति को एक निर्देश बिंदु निर्धारित कर व्यक्त करते हैं लिए हम इसे एक उदाहरण के द्वारा समझ मन किसी गांव में एक स्कूल रेलवे स्टेशन से 2 किलो मीटर उत्तर दिशा में है हमने स्कूल की स्थिति को रेलवे स्टेशन के सापेक्ष निर्धारित किया इस उदाहरण में रेलवे स्टेशन निर्देश बिंदु है हम दूसरे निर्देश बिंदुओं का भी अपने सुविधा अनुसार चयन कर सकते हैं इसलिए किसी वस्तु की स्... Read More

 गति का वर्णन

 हम किसी वस्तु की स्थिति को एक निर्देश बिंदु निर्धारित कर व्यक्त करते हैं लिए हम इसे एक उदाहरण के द्वारा समझ मन किसी गांव में एक स्कूल रेलवे स्टेशन से 2 किलो मीटर उत्तर दिशा में है हमने स्कूल की स्थिति को रेलवे स्टेशन के सापेक्ष निर्धारित किया इस उदाहरण में रेलवे स्टेशन निर्देश बिंदु है हम दूसरे निर्देश बिंदुओं का भी अपने सुविधा अनुसार चयन कर सकते हैं इसलिए किसी वस्तु की स्थिति को बताने के लिए हमें एक निर्देश बिंदु की आवश्यकता होती है जिसे मूल बिंदु कहा जाता है

 सरल रेखीय गति 

 गति का सबसे साधारण प्रकार सरल रेखा गाती है हमें सबसे पहले एक उदाहरण के द्वारा इस व्यक्त करना सीखना होगा मन कोई वस्तु सरल रेखीय पत्र पर गतिमान वस्तु अपने गति बिंदुओं से प्रारंभ करती है जिसे निर्देश बिंदु माना जा सकता है मन की विभिन्न चरणों में ए बी और सी वस्तु की स्थितियों को प्रदर्शित करते हैं पहले यह सी और पी से गुजरती है तथा ए पर पहुंचती है इसके पश्चात यह इस पद पर लौटी है और भी से गुजरते हुए सी तक पहुंचती है वास्तु के द्वारा तय की गई कुल दूरी ए प्लस एक है अर्थात 60 किलोमीटर प्लस 35 किलोमीटर बराबर 95 किलोमीटर यह वस्तु के द्वारा तय की गई दूरी है किसी वस्तु की दूरी को निर्धारित करने के लिए हमें केवल उनके मन की आवश्यकता होती है

 एक समान गति और असमान गति :-

 मन की एक वस्तु एक सीधी रेखा पर चल रही है मन पहले एक सेकंड में यह 50 मी दूसरी सेकंड में 50 मीटर 30 सेकंड में 50 मीटर तथा छोटी सेकंड में 50 मीटर दूरी तय करती है इसकी स्थिति में वास्तु पड़ती है तो सेकंड में 50 मिनट की दूरी तय करती है क्योंकि वस्तु सामान संभाल लेता दाल में समान दूरी तय तो उसकी गति को एक समान गति कहते हैं इस तरह की गति में समय यात्रा छोटा होना चाहिए हम दैनिक जीवन में कई बार देखते हैं की वस्तु के द्वारा समांतर में आसमान दूरी तय की जाती है उदाहरण के लिए भीड़ वाली सड़क पर जा रही कार्य पार्क में दौड़ रहा एक व्यक्ति यह आसमान करती है कुछ उदाहरण है 

 दिशा के साथ चाल 

 किसी वस्तु की गति की दर और भी अधिक व्यापक हो सकती है अगर हम उसकी चाल के साथ दिशा को भी व्यक्त करें वह राशि जो इन दोनों पक्षों को व्यक्त करती है उसे वह कहा जाता है

 दूरी समय ग्राफ 

 समय के साथ किसी वस्तु की स्थिति परिवर्तन को एक सुविधाजनक पैमाना अपना कर दूरी तय ग्राफ द्वारा व्यक्त किया जा सकता है इस ग्राफ में समय को एक और दूरी को उपाय पर प्रदर्शित किया जाता है दूरी समय ग्राफ को विभिन्न अवस्था में प्रदर्शित किया जा सकता है जैसे वस्तु एक समान चाहिए असमंचल से चल रही है फिर हम व्यवस्था में है हत्या आदि 

  वेग समय ग्राफ 

 एक सरल रेखा में चल रही वास्तु के वेग में समय के साथ परिवर्तन को वेग समय ग्राफ द्वारा दर्शाया जा सकता है

 गति की समीकरण

 कोई वस्तु सीधी रेखा में एक समान त्वरण से चलती है तो एक निश्चित समय ताल में समीकरणों के द्वारा उसके वह गति के दौरान तोरण में उसके द्वारा तय की गई दूरी में संबंध स्थापित करना संभव है जिन्हें गति के समीकरण के नाम से जाना जाता है सुविधा के लिए इस प्रकार के तीन समीकरण का एक 

 एक समान वृत्तीय गति 

 जब वास्तु के वेग में परिवर्तन होता है तब हम कहते हैं कि वह वस्तु त्वरित हो रही है वेज में यह परिवर्तन देखकर परिणाम या गति की दशा या दोनों के कारण हो सकता है क्या आप एक उदाहरण के बारे में सोच सकते हैं जिसमें एक वस्तु अपने वेज के परिणाम को नहीं बदलती परंतु अपनी गति की दिशा में

 

 

 


Read Full Blog...

  • Author:- kumarivanshika01232@gmail.com
  • Date:- 2025:12:10
  • 3 Views


ऊतक


 हम आपको उत्तक के बारे में बताएंगे  पादप ऊतक  ​​​​​​विभाज्यतक  पौधों में वृद्धि कुछ निश्चित क्षेत्र में ही होती है ऐसा विभाजित उत्तक के उन भागों में पाए जाने के कारण होता है ऐसे  उत्तक को  विभाज्य तक भी कहा जाता है  स्थाई ऊतक  ​​​​ विभुजों तक द्वारा बनी कोशिका का क्या होता है यह एक विविष्ट कार्य करती है और विभाजित होने की शक्ति को खो देती है जिसके फल स्वरुप... Read More

 हम आपको उत्तक के बारे में बताएंगे

 पादप ऊतक 

​​​​​​विभाज्यतक 

पौधों में वृद्धि कुछ निश्चित क्षेत्र में ही होती है ऐसा विभाजित उत्तक के उन भागों में पाए जाने के कारण होता है ऐसे  उत्तक को  विभाज्य तक भी कहा जाता है

 स्थाई ऊतक 

​​​​ विभुजों तक द्वारा बनी कोशिका का क्या होता है यह एक विविष्ट कार्य करती है और विभाजित होने की शक्ति को खो देती है जिसके फल स्वरुप में स्थाई ऊतक का निर्माण करती है

  सरल स्थाई ऊतक 

 एडिट मिर्च के नीचे कोशिकाओं की कुछ पढ़ने होती है जिसे सरल स्थाई ऊतक कहते हैं पेरेंचायमा सबसे अधिक पाए जाने वाला सरल स्थाई ऊतक है यह है पतली कोशिका भित्ति वाले सरल कोशिका का बना होता है यह जीवन कोशिका है यह कार्य बंधन मुक्त होती है तथा इस प्रकार के ऊतक की कोशिका के माध्यम काफी रिक्त स्थान पाया जाता है

 पैरेनकाएमा 

 कुछ पेरेंचायमा ऊतकों में क्लोरोफिल पाया जाता है जिसके कारण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया संपन्न होती है

 स्क्लेरेंकायमा

 यह कितने प्रकार का उत्तक स्क्रीन करना होता है यह ऊतक पौधों को कठोर एवं मजबूत बनाता है हमने नारियल के रेशों युक्त छिलके को देखा है यह है स्क्रीन कम उत्तक से बना होता है इस ऊतक की कोशिका व्रत होती है यह लंबी और पतली होती है क्योंकि इस ऊतक की भित्ति लेने के कारण मोटी होती है यह भित्ती पर यह इतनी मोटी होती है की कोशिका के भीतर कोई आंतरिक स्थान नहीं होता

 कॉलेनकाइम 

 पौधों में ललिता पान का गुण एक अन्य स्थाई ऊतक कॉलेनकाइम के कारण होता है यह पौधे के विभिन्न भागों पट्टी तनाव में बिना टूटे हुए लचीलापन लाता है यह पौधों को यांत्रिक सहायता भी प्रदान करता है

  जटिल स्थाई ऊतक 

 जब तक हम एक ही प्रकार की कोशिका से बने हुए भिन्न-भिन्न प्रकार के ऊतकों पर विचार कर चुके हैं जो की एक ही तरह के दिखाई देते हैं ऐसे उत्तकों को साधारण स्थाई उत्तर कहते हैं

  जंतु ऊतक  

 जब हम सांस लेते हैं तब हम अपनी छाती की गति को महसूस कर सकते हैं शरीर के लिए अंग कैसे गति करते हैं इसके लिए हमारे पास कुछ विशेष कोशिका होती है जिन्हें हम पैसे कोशिका कहते हैं

 एपिथीलियम ऊतक 

 जंतु के शरीर को ढकने आरा रक्षा प्रदान करने वाले ऊतक अटरिया मुक्तक है आपके लिए शरीर के अंदर स्थित बहुत से अंगों और ग्रह का को ढूंढते हैं यह विभिन्न प्रकार के शारीरिक टैटो को एक दूसरे से अलग करने के लिए अवरोध का निर्माण करते हैंको ढकने आरा रक्षा प्रदान करने वाले ऊतक अटरिया मुक्तक है आपके लिए शरीर के अंदर स्थित बहुत से अंगों और ग्रह का को ढूंढते हैं यह विभिन्न प्रकार के शारीरिक टैटो को एक दूसरे से अलग करने के लिए अवरोध का निर्माण करते हैं त्वचा मुंह आहार नली रक्त वाहिनी नाली का अस्तर फेफड़ों की कोशिका व्रत की नली आई सभ्यता से बने होते हैं

 संयोजी ऊतक 

 रक्त एक प्रकार का संयोजक है इसे संयोजी ऊतक क्यों कहते हैं इस अध्याय की भूमिका में इस संबंध में एक संकेत दिया रहता है लिए अब हम इस तरह के ऊतक के बारे में विस्तृत जान ले संयोजी ऊतक की कोशिकाओं आपस में काम जुड़ी होती है और अंतर कोशिकाएं आधारित में दशी होती है यह आंतरिक जाली की तरल तरल संघा लिया कठोर हो सकती है रात्रि की प्रकृति विशिष्ट संयोजकता के कार्य के अनुसार बदलती रहती है 

 पेशीय ऊतक 

 पेशीय तक लंबी कोशिका का बना होता है जिसे पेशी जैसा भी कहा जाता है यह हमारे शरीर में गति के लिए उत्तरदाई है पेशियां के एक विशेष प्रकार की प्रोटीन होती है जिसे करने वाले प्रोटीन कहते हैं जिसके संकुचन है प्रकाश के कारण गति होती है 

 यांत्रिक ऊतक 

 सभी कोशिकाओं में उत्सर्जन के अनुकूलन प्रतिक्रिया करने की क्षमता होती है या तापी तांत्रिक उत्तक की कोशिका बहुत सिल्क उत्तेजित होती है और इस उत्तेजना को बहुत ही सिर्फ पूरे शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचती है मस्जिद तक मौजूद तथा तांत्रिकाएं और तांत्रिक का उत्तकों की बनी होती है 


Read Full Blog...

  • Author:- kumarivanshika01232@gmail.com
  • Date:- 2025:12:10
  • 4 Views


जीवन की मौलिक की गई


कारक की पतली कार्ड में अवलोकन पर रोबोट होने पाया कि इनमें उनके छोटे-छोटे पर कोर्ट है जिनकी संरचना मधुमक्खी के चट्टे जैसी प्रतीत होती है कर्क एक पदार्थ है जो वृक्ष की छाल से प्राप्त होता है सब 1665 में हुक ने इसे स्वर्णिमृत सूक्ष्मदर्शी से देखा था रोबोट हो कि नहीं इन प्रकोष्ठों को कोशिका कहा सेल कोशिका लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है छोटा कैमरा उपरोक्त घटना छोटी तथा अर्थ ही लगती हो लेकिन विज्ञान के इति... Read More

कारक की पतली कार्ड में अवलोकन पर रोबोट होने पाया कि इनमें उनके छोटे-छोटे पर कोर्ट है जिनकी संरचना मधुमक्खी के चट्टे जैसी प्रतीत होती है कर्क एक पदार्थ है जो वृक्ष की छाल से प्राप्त होता है सब 1665 में हुक ने इसे स्वर्णिमृत सूक्ष्मदर्शी से देखा था रोबोट हो कि नहीं इन प्रकोष्ठों को कोशिका कहा सेल कोशिका लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है छोटा कैमरा उपरोक्त घटना छोटी तथा अर्थ ही लगती हो लेकिन विज्ञान के इतिहास में यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटना है इसी प्रकार सबसे पिछले हक ने देखा कि सजीवों में अलग-अलग एक होते हैं इन एक को का वर्णन करने के लिए जीव विज्ञान में कोशिका शब्द का उपयोग आज तक किया जाता है

 कोशिका किस से बनी होती है?कोशिका का संरचनात्मक संगठन क्या है?

 हमने देखा की कोशिका में  जीने को से कम कहते हैं कोशिका कैसे संगठित होती है यदि हम कोशिका का अध्ययन सूक्ष्मदर्शी से करें तो हमें लगभग प्रत्येक कोशिकाओं में तीन गुण दिखाई देते हैं प्लाज्मा झिल्ली केंद्र तथा कोशिका द्रव्य कोशिका के अंदर होने वाले सांसद क्रियाकलाप तथा उनके गृह पर पर्यावरण से पारस्परिक क्रियाएं इन्हीं गुना के कारण आओ देखें कैसे?

 प्लाज्मा झिल्ली अथवा कोशिका झिल्ली 

 यह कोशिका की सबसे भारी परत है जो कोशिका के घटकों को बाहरी पर्यावरण से अलग करती है प्लाज्मा झिल्ली कुछ पदार्थ को अंदर अथवा बाहर आने जाने देती है यह अन्य पदार्थों की गति को भी रुकते हैं कोशिका झिल्ली को इसलिए वर्णनात्मक पार्क में जल्दी कहते हैं कोशिका में पदार्थ की गति कैसे होती है पदार्थ कोशिका से बाहर कैसे 

 कोशिका भित्ति 

 पादप कोशिकाओं में प्लाज्मा झिल्ली के अतिरिक्त कोशिका भित्ति भी होती है पादप कोशिका भित्ति मुख्यतः सैलूलोज की बनी होती है सैलरी रोज एक बहुत जटिल पदार्थ है और यह पौधों को संरचनात्मक दंडता प्रदान करता है जब किसी पादप कोशिका में प्रसारण द्वारा पानी की हानि होती है तो कोशिका झिल्ली रहित आंतरिक पदार्थ संकुचित हो जाते हैं इस घटना को जीव धर्म क्वेश्चन कहते हैं 

 केंद्रक 

 आपको याद होगा कि हमने प्याज की जल्दी की स्थाई स्लाइड बनाई थी हमने इस जिले पर आयोडीन की बूंद डाली थी क्यों यदि हम बिना आयोडीन के स्लाइड रूप में विद्वान रहते हैं क्रोमेटं पदार्थ धागे की तरह की संरचना के एक लाल का पिंड होता है जब कभी भी कोशिका विभाजित होने वाली होती है तब यह हैदेखा तो हम क्या देखेंगे पर्यटन करो और देखो की क्या अंतर है जब हमने आयोडीन का गोल डाला तो क्या प्रत्येक कोशिका समान रूप से रंगीन हो गई कोशिका के विभिन्न भाग रासायनिक संगठन के आधार पर विभिन्न रंगों से रंगे जाते हैं कुछ क्षेत्र अधिक गहरे रंग से प्रतीत होते हैं तथा कुछ काम रूप में विद्वान रहते हैं क्रोमेटं पदार्थ धागे की तरह की संरचना के एक लाल का पिंड होता है जब कभी भी कोशिका विभाजित होने वाली होती है तब यह है

 कोशिका अंग 

 प्रत्येक कोशिका के चारों ओर अपनी चिल्ली होती है जिससे कि उसमें स्थित पदार्थ ब्रह्म पर्यावरण से लग रहे बड़ी तथा जटिल कोशिकाओं जिसमें बहु कोशिका और जीवन की कोशिकाएं भी शामिल है को भी ऊपर चली क्रियो की बहुत आवश्यकता होती है जिससे कि मैं जटिल संरचना तथा कार्य को सहारा दे सके इन विभिन्न प्रकार की उपाय चाहिए क्रियो को अलग-अलग रखने के लिए कोशिकाएं झिल्ली युक्तऊपर चली क्रियो की बहुत आवश्यकता होती है जिससे कि मैं जटिल संरचना तथा कार्य को सहारा दे सके इन विभिन्न प्रकार की उपाय चाहिए क्रियो को अलग-अलग रखने के लिए कोशिकाएं झिल्ली युक्त छोटी-छोटी संरचना अंग का प्रयोग करती है यह यूकैरियोटिक कोशिकाओं का एक ऐसा गुण है जो उन्हें प्रोकैरियोटिक कोशिका से अलग करता है इसमें से कुछ अंगद केवल इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से ही देखा जा सकता है हमने पिछले अनुभव में केंद्र के विषय में पढ़ा है अंतर्देवीय झाले का गला जी उपकरण लाइसोसोम माइटोकांड्रिया तथा प्लेलिस्ट कोशिका अंगों से महत्वपूर्ण उदाहरण है जिन पर हम विचार करेंगे यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कोशिका के बहुत निर्णायक कार्य करते हैं 

 

 


Read Full Blog...

  • Author:- kumarivanshika01232@gmail.com
  • Date:- 2025:12:10
  • 3 Views


परमाणु की संरचना


अध्याय 3 में हम पढ़ चुके हैं कि पदार्थ परमाणु और नो से मिलकर बने हैं विभिन्न प्रकार के पदार्थ का स्थित है उन परमाणुओं के कारण होता है जिसे वह बने हैं अब प्रश्न उठता है कि किसी एक तत्व का परमाणु दूसरे तत्व के परमाणु से भिन्न क्यों नहीं है और क्या परमाणु वास्तव में अभी पहुंचे होते हैं जैसे कि डाल्टन के प्रतिपादित किया था या परमाणु के भीतर छोटे-छोटे अन्य घटक विविधवान होते हैं इस अध्याय में हम इस प्रश... Read More

अध्याय 3 में हम पढ़ चुके हैं कि पदार्थ परमाणु और नो से मिलकर बने हैं विभिन्न प्रकार के पदार्थ का स्थित है उन परमाणुओं के कारण होता है जिसे वह बने हैं अब प्रश्न उठता है कि किसी एक तत्व का परमाणु दूसरे तत्व के परमाणु से भिन्न क्यों नहीं है और क्या परमाणु वास्तव में अभी पहुंचे होते हैं जैसे कि डाल्टन के प्रतिपादित किया था या परमाणु के भीतर छोटे-छोटे अन्य घटक विविधवान होते हैं इस अध्याय में हम इस प्रश्न का उत्तर मिलेगा हम अब परमाणु को और परमाणु के विभिन्न प्रकार के मॉडलों के बारे में पड़ेंगे जिसे यह पता चलता है कि यह कारण परमाणु के भीतर किस प्रकार व्यवस्थित होते हैं

19वीं शताब्दी के अंत में वैज्ञानिक को के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती थी वैज्ञानिक की संरचना और उनके गानों के बारे में पता लगाना परमाणु की संरचना को अनेक प्रयोगों के आधार पर समझाया गया है

 परमाणु के भी अभी पहुंचे ना होने के संकेत में से एक संकेत स्थिर विद्युत तथा विभिन्न पदार्थों द्वारा विद्युत चलाने की परिस्थितियों के अध्ययन से मिला

  पदार्थ में अवशेषित कर 

 पदार्थ में आवश्यक कानों की प्रकृति को जानने के लिए लिए हम निम्न प्रकार क्रियाकलाप करें

1. सूखे बालों पर कंगी कीजिए क्या कंगी कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों को आकर्षित करती है

2. कांच की एक झाड़ को सिल्क के कपड़े पर रगडि़ए और इस छड़ को हवा से भरे गुब्बारे के पास लाइए क्या होता है ध्यान

 इन क्रियाकलापों से क्या हम यह निर्देश निकाल सकते हैं कि दो वस्तुओं को आपस में रगड़ने से उनमें विद्युत आवेश आ जाता है यह आवेश कहां से आता है इसका उत्तर तब मिला जब यह पता चला कि परमाणु विभाज्य है और आवश्यक कानों से बना है परमाणु में उपस्थित अवशेषित कानों का पता लगाने में कई वैज्ञानिकों ने योगदान

 19वीं शताब्दी तक यह जान लिया गया कि परमाणु साधारण और अभी पहुंचे कल नहीं है बल्कि इसमें कम से कम एक परमाणु कारण इलेक्ट्रॉन विद्वान होते हैं जिसका पता जे थॉमसन ने लगाया था इलेक्शन के संबंध में जानकारी प्राप्त होने के पहले ही गोल्डस्टीन ने 1886 में एक नए वितरण की खोज की जिसे उन्होंने कैनल का नाम दिया यह किरणें धनावेशित विकिरण थी जिसके द्वारा आता है तो दूसरे और परमाणु के कानों की खोज हुई इन कणों का आवेश इलेक्ट्रॉन के आवेश के बराबर किंतु विपरीत था इनका द्रव्यमान इलेक्ट्रॉनों की अपेक्षा लगभग 2000 गुना अधिक होता है उनको प्रोटॉन नाम दिया गया सामान्यतः इलेक्ट्रॉन को आई के द्वारा और प्रोटीन को पी प्लस के द्वारा दर्शाया गया है प्रोटोन का द्रव्यमान एक इकाई और इसका आवेश 1 प्लस लिया जाता है इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान नगरी और आवेश 1 - माना जाता है ऐसा माना गया है कि परमाणु प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन से बने हैं जो प्रश्न आवेश को संतुलित करते हैं यह भी प्रतीत हुआ कि प्रोटॉन परमाणु के सबसे भीतरी भाग में होते हैं इलेक्ट्रॉन को आसानी से निकाला जा सकता है लेकिन प्रोटॉन को नहीं अब सबसे बड़ा परसों यह है था कि यह कारण परमाणु की संरचना किस प्रकार करते हैं हमें इस प्रश्न का उत्तर नीचे मिलेगा

 परमाणु की संरचना

 हमने अध्याय 3 में डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के बारे में पढ़ा इसके अनुसार परमाणु अभी पहुंचे और अविनाशी था लेकिन परमाणु के भीतर दो मूल कणों इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन की खोज में डाल्टन के परमाणु सिद्धांत की इस धारणा को गलत साबित कर दिया अब यह जानना आवश्यक था कि इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन परमाणु के भीतर किस तरह व्यवस्थित है इसको समझने के लिए बहुत से वैज्ञानिकों ने भिन्न प्रकार के मॉडलों को प्रस्तुत किया अजय जी थॉमसन पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने की खोज में डाल्टन के परमाणु सिद्धांत की इस धारणा को गलत साबित कर दिया अब यह जानना आवश्यक था कि इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन परमाणु के भीतर किस तरह व्यवस्थित है इसको समझने के लिए बहुत से वैज्ञानिकों ने भिन्न प्रकार के मॉडलों को प्रस्तुत किया अजय जी थॉमसन पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने परमाणु की संरचना से संबंधित पहला मॉडल प्रस्तुत किया

 डोमसन का परमाणु मॉडल

 डांसर ने परमाणु की संरचना से संबंधित एक मॉडल प्रस्तुत किया जो क्रिसमस के की तरह था इसके अनुसार परमाणु एक धन आवेशित गोल था जिससे इलेक्ट्रॉन क्रिसमस डांसर ने परमाणु की संरचना से संबंधित एक मॉडल प्रस्तुत किया जो क्रिसमस के की तरह था इसके अनुसार परमाणु एक धन आवेशित गोल था जिससे इलेक्ट्रॉन क्रिसमस केक में लगे सुख में हो की तरह थे तरबूज का उदाहरण भी ले सकते हैं जिसके अनुसार परमाणु में धन आवेश मैं तरबूज के खाने वाले लाल बाग की तरह दिख रहा है जबकि इलेक्ट्रॉन धन आवेशित गले में तरबूज के बीच की भांति दूसरे है 

 रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल

 अर्नेस्ट रदरफोर्ड यह जानने के इच्छुक थे की इलेक्ट्रॉन परमाणु के भीतर कैसे व्यवस्थित है इन्होंने एक प्रयोग किया इस प्रयोग में तेज गति से चल रहे अल्फा कणों को सोने की पाली पर टकराया गया 

 इन्होंने सोने की बनी इसलिए चुन्नी क्योंकि मैं बहुत पतली परत चाहते थे सोने की यह पानी हजार परमाणु के बराबर मोटी थी अल्फा कण दुआ में सिद्ध हीलियम कान होते हैं अतः यह धन आवेशित होते हैं क्योंकि इनका द्रव्यमान का यू होता है इसलिए तीव्र गति से चल रहे इन अल्फा कणों में पर्याप्त ऊर्जा होती है यह अनुमान था कि अल्फा कंस होने के परमाणु में भी भगवान और परमाणु के कानों के द्वारा विक्षेपित होंगे जो की अल्फा कण प्रोटीन से बहुत भारी थे इसलिए उन्होंने उनके अधिक विक्षेपण

 रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की कमियां 

 वर्तुलाकर मार्ग में चक्रण करते हुए इलेक्ट्रॉन का स्थाई हो पाना संभावित नहीं है कोई भी आवश्यक कारण गोलाकार कक्षा में त्वरित होगा त्वरण के दौरान आवेशित कणों से ऊर्जा का वितरण होगा इस प्रकार स्थाई कक्षा में घूमता हुआ इलेक्ट्रॉन अपनी उर्जा विकसित करेगा और नाभिक से टकरा जाएगा अगर ऐसा होता तो परमाणु स्थिर होता जबकि हम जानते हैं कि परमाणु स्थाई है 

 बोर का प्रमाणिक मॉडल

 रदरफोर्ड के मॉडल पर उठी आपत्तियों को दूर करने के लिए नील बारे में परमाणु की संरचना के बारे में निम्नलिखित अवधारणाएं प्रस्तुत की

 इलेक्ट्रॉन केवल कुछ निश्चित कक्षाओं में ही चक्कर लगा सकते हैं जिन्हें इलेक्ट्रॉन की विवेक कक्षा कहते हैं जब इलेक्ट्रॉन इस विवेक कक्षा में चक्कर लगाते हैं तो उनकी ऊर्जा का वितरण नहीं होता 

 न्यूट्रॉन 

 1932 में जय चैडविक ने एक और अब परमाणु 1932 में जय चैडविक ने एक और अब परमाणु कल को खोज निकाला जो अन्वेषित और धर्म मन में प्रोटीन के बराबर था आता है इसका नाम न्यूट्रॉन पड़ा हाइड्रोजन को छोड़कर यह सभी परमाणुओं के नाभिक में होते हैं सामान्यत न्यूट्रॉन को न से दर्शाया जाता है परमाणु का द्रव्यमान नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के द्रव्यमान के योग के द्वारा प्रकट किया जाता है

 विभिन्न कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन कैसे विपरीत होते हैं

 परमाणु की विभिन्न कक्षाओं में इलेक्ट्रॉनों के विवरण के लिए बड़े बोर और भारी में कुछ नियम प्रस्तुत किया जिसे भर परी स्क्रीन के नाम से जाना जाता है

 संयोजकता 

 हम पढ़ चुके हैं कि परमाणुओं की विभिन्न कक्षाओं या क्वेश्चन में इलेक्ट्रॉन किस प्रकार व्यवस्थित होते हैं किसी परमाणु की सबसे बाहरी कक्ष में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संयोजकता इलेक्ट्रॉन कहा जाता है

 परमाणु संख्या एवं द्रव्यमान संख्या

 परमाणु संख्या

 हम जानते हैं कि परमाणु के नाभिक में प्रोटीन विद्वान होते हैं एक परमाणु में उपस्थित प्रोटॉन की संख्या उनकी परमाणु संख्या को बताती है इसे जड़ के द्वारा दर्शाया जाता है किसी तत्व के सभी अंगों की परमाणु संख्या जड़ समान होती है वास्तव में तत्वों को उनके परमाणु में विद्वान प्रोटेनों की संख्या से परिभाषित किया जाता है हाइड्रोजन के लिए स बराबर 1 क्योंकि हाइड्रोजन परमाणु के नाभिक में केवल एक प्रोटोन होता है इसी प्रकार कार्बन के लिए स बराबर 6 इस प्रकार एक परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन की कुल संख्या को परमाणु संख्या कहते हैं

  द्रव्यमान संख्या

 एक परमाणु के और परमाणु के कानों के अध्ययन के बाद हम इस निर्देश पर पहुंच सकते हैं कि व्यावहारिक रूप में परमाणु का द्रव्यमान उसमें विद्वान प्रोटॉन और न्यूटन के विद्वानों के कारण होता है यह परमाणु के नाभिक में विद्वान होते हैं इसलिए न्यू कल्याण भी कहते हैं परमाणु का लगभग संपूर्ण द्रव्यमान उसके नाभिक में होता है उदाहरण के लिए कार्बन का द्रव्यमान 12 यू है क्योंकि उसमें 6 प्रोटॉन और 6 न्यूट्रॉन होते हैं 6 यू + 6u 12 इस प्रकार अल्युमिनियम का द्रव्यमान 27 यू है 13 प्रोटॉन प्लस 14 न्यूट्रॉन एक परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की कुल संख्या के योग को द्रव्यमान संख्या कहा जाता है

 समस्थानिक

 प्रकृति में कुछ तत्वों के परमाणुओं की पहचान की गई है जिसकी परमाणु संख्या समान लेकिन द्रव्यमान संख्या अलग होती है उदाहरण के लिए हाइड्रोजन परमाणु को ले इनके तीन परमाण्विक स्पीशीज होते हैंइनके तीन परमाण्विक स्पीशीज होते हैं इसके तीन प्रमाणिक एक्सप्रेस होते हैं सोडियम डॉयटरियम टाइटेनियम प्रत्येक की परमाणु संख्या समान है लेकिन द्रव्यमान संख्या क्रमश एक दो और तीन है इस तरह के अन्य उदाहरण है कार्बन और क्लोरीन

 संभारिक 

 दो तत्वों कैल्शियम परमाणु संख्या 20 और अंग परमाणु संख्या 18 के बारे में विचार कीजिए परमाणु में प्रोटॉन की संख्या भिन्न में दोनों तत्वों की रोमन संख्या 40 है यानी तत्वों के इस जोड़े के अंगों के रोमन संख्या 40 है यानी तत्वों के इस जोड़े के अंगों के समान है अलग-अलग परमाणु संख्या वाले तत्वों को जिनकी द्रव्यमान संख्या समान होती है संभारिक कहा जाता है

 

 

 


Read Full Blog...

  • Author:- kumarivanshika01232@gmail.com
  • Date:- 2025:12:10
  • 3 Views


परमाणु एवं अणु


प्राचीन भारतीय एग्रीकल्चर सैनिकों द्रव्य के औकात एवं अदृश्य रूप से सदैव चकित होते रहे पदार्थ की विभाज्यता के मत के बारे में भारत में बहुत पहले लगभग 50 हिंसा पूर्व विचार व्यक्त किया गया था भारतीय दार्शनिक को महर्षि कर्नाड ने प्रतिपादित किया था कि यदि हम धर्म को विभाजित करते जाए तो हमें छोटे-छोटे कारण प्राप्त होते जाएंगे तथा अंत में एक सीमा आएगी जब प्राप्त कान को पुनर्विवाहित नहीं किया जा सकेगा अर्थ... Read More

प्राचीन भारतीय एग्रीकल्चर सैनिकों द्रव्य के औकात एवं अदृश्य रूप से सदैव चकित होते रहे पदार्थ की विभाज्यता के मत के बारे में भारत में बहुत पहले लगभग 50 हिंसा पूर्व विचार व्यक्त किया गया था भारतीय दार्शनिक को महर्षि कर्नाड ने प्रतिपादित किया था कि यदि हम धर्म को विभाजित करते जाए तो हमें छोटे-छोटे कारण प्राप्त होते जाएंगे तथा अंत में एक सीमा आएगी जब प्राप्त कान को पुनर्विवाहित नहीं किया जा सकेगा अर्थात वह सुक्तम कारण अभी पहुंचे रहेगा इस अभी भोज्य सुक्तम कारण को उन्होंने परमाणु कहा एक अन्य भारतीय दर्शनी को खुदा का ध्यान ने इस बात को विस्तृत रूप से समझाया तथा कहा कि यह कान समानता संयुक्त रूप में पाए जाते हैं जो अंदर वह के भिन्न-भिन्न एन रूपों को प्रदान करते हैं

लगभग इसी समग्र दार्शनिक को डेमोक्रेसी आई एम लुई पसीने सुझाव दिया था कि यदि हम धर्म को विभाजित करते जाए तो एक ऐसी स्थिति आएगी जब प्राप्त कर को पुनर विभाजित नहीं किया जा सकेगा उन्होंने अभिभावाचक कानों को परमाणु अर्थात अभी भाग्य कहा था यह सभी सुझाव दर्शनी को विचारों पर आधार थे में विचार की वैधता सिद्ध करने के लिए 18वीं शताब्दी तक कोई अधिक प्रयोगात्मक कार्य नहीं हुए थे 18वीं शताब्दी के अंत तक वैज्ञानिकों ने तत्व एवं योगी को के बीच भेद को समझा तथा स्वाभाविक रूप से यह पता करने के चुप हुए के तत्व कैसे जब तत्व परस्पर सहयोग करते हैं तब क्या होता है वैज्ञानिक अंतर लिखिए निरसायनिक संयोजन के दो महत्वपूर्ण नियमों को स्थापित किया जिसने रासायनिक विज्ञान को महत्वपूर्ण आधार प्रदान किया 

 रासायनिक संयोजन के नियम

 लिक ऐप जोसेफ एल पाउडर ने बहुत अधिक प्रयोग कार्यों के पश्चात रासायनिक संयोजन के निम्नलिखित दो नियम प्रतिपादित किया

 


Read Full Blog...

  • Author:- kumarivanshika01232@gmail.com
  • Date:- 2025:12:10
  • 3 Views


गृह विज्ञान के तत्व तथा क्षेत्र


 प्रस्तावना:-  घर एक ऐसा स्थान होता है जहां प्रत्येक मनुष्य सुख और शांति से परिवार के लिए सदस्य के साथ अपना जीवन व्यतीत करता है तथा अपने नृत्य कर्तव्य तथा अधिकारों का ज्ञान अर्जित करता है दुख सुख में एक दूसरे के साथ सहयोग करना सीखना है गृह में ही मनुष्य ही आवश्यकता पूरी होती है और संतुष्ट के साथ उसका जीवन व्यतीत होता है इस सब के पीछे एक कुशल करने का हाथ होता है इसलिए आज गृह विज्ञान के क्... Read More

 प्रस्तावना:-

 घर एक ऐसा स्थान होता है जहां प्रत्येक मनुष्य सुख और शांति से परिवार के लिए सदस्य के साथ अपना जीवन व्यतीत करता है तथा अपने नृत्य कर्तव्य तथा अधिकारों का ज्ञान अर्जित करता है दुख सुख में एक दूसरे के साथ सहयोग करना सीखना है गृह में ही मनुष्य ही आवश्यकता पूरी होती है और संतुष्ट के साथ उसका जीवन व्यतीत होता है इस सब के पीछे एक कुशल करने का हाथ होता है इसलिए आज गृह विज्ञान के क्षेत्र की सीमा बहुत व्यवस्थित हो गई है इसलिए आज की बालिकाएं ही भविष्य की श्रेणी होगी इसलिए उन्हें केवल भोजन पकाना वस्त्र सिंह ने का ही ज्ञान नहीं दिया जाता वर्णन घर से संबंधित सभी विषयों के संबंध में वैज्ञानिक सिद्धांत एवं नियमों का पूर्ण ज्ञान कराया जाता है में इस संपूर्ण ज्ञान का उपयोग ग्रह संचालन में करते हुए अपने परिवार को सुखिया संपर्क बना सकती है प्रस्तुत अध्याय में गृह विज्ञान के क्षेत्र प्रकृति और तत्वों के साथ-साथ महत्व के विषय में भी जानकारी दी गई है

 गृह विज्ञान का अर्थ तथा परिभाषा:- गृह विज्ञान दो शब्द ग्रह और विज्ञान से मिलकर बना है ग्रह का अर्थ है घर जिसमें परिवार निवास करता है विज्ञान का अर्थ है संधानित अध्ययन अतः गृह विज्ञान का अर्थ है घर में परिवार से संबंधित सभी पहलुओं का सिद्धांत एक तथा व्यवहारिक अध्ययन गृह विज्ञान में परिवार के सभी सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति उनके विकास में समृद्धि के विषय में विस्तार से अध्ययन किया जाता है इस विषय में घर में परिवार से संबंधित सभी आवश्यकताओं जैसे भोजन वस्त्र मकान शरीर रचना वह स्वास्थ्य गृह व्यवस्था एवं गृह सज्जन आदि को सिद्धांत नियमों के अनुसार संपन्न किया जाता है जिससे परिवार सुखी वह समृद्धि साली हो

 


Read Full Blog...

  • Author:- kumarivanshika01232@gmail.com
  • Date:- 2025:12:09
  • 10 Views



Blog Catgories

<--icon---->