Blog by Vanshika | Digital Diary
" To Present local Business identity in front of global market"
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अध्याय 7 तथा 8 में हमने वस्तु की गति के बारे में तथा बाल को गति के कारक के रूप में अध्ययन किया है हमने सीखा है कि किसी वस्तु की चाल या गति की दिशा बदलने के लिए बाल की आवश्यकता होती है हम सदैव देखते हैं कि जब किसी वस्तु को ऊंचाई से गिराया जाता है तो वह पृथ्वी की ओर ही गिरती है हम जानते हैं कि सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है इन सभी अवस्थाओं में वस्तुओं पर ग्रहों पर तथा चंद्रमा पर लगने वाला कोई पालम आवश्यक होना चाहिए आइजक न्यूटन इस तथ्य को समझ गए थे कि इन सभी के लिए एक ही बोल उत्तरदाई है इस बाल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं
हम जानते हैं कि चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है किसी वस्तु को जब ऊपर की ओर फेंकते हैं तो वह कुछ ऊंचाई तक ऊपर पहुंचती है और फिर नीचे की और गिरने लगती है कहते हैं कि जब न्यूटन एक पेड़ के नीचे बैठे थे तो एक सब उन पर गिरा सब के गिरने की क्रिया में न्यूटन को सोने के लिए प्रेरित किया उन्होंने सोचा कि यदि पृथ्वी सब को अपनी ओर आकर्षित कर सकती है तो क्या यह चंद्रमा को आकर्षित नहीं कर सकती क्या दोनों स्थितियों में वही बोल लग रहा है उन्होंने अनुमान लगाया कि दोनों अवस्था में एक ही प्रकार का उत्तरदाई है उन्होंने तर्क दिया कि अपनी कक्षा के प्रत्येक बिंदु पर चंद्रमा किसी सरल रेखीय पथ पर गति नहीं करता वरुण पृथ्वी की ओर गति रहता है अतः वह आवश्यक ही पृथ्वी द्वारा आकर्षित होता है लेकिन हम वास्तव में चंद्रमा को पृथ्वी की ओर गिरते हुए नहीं देखते
विश्व का प्रत्येक बिन प्रत्येक करने पिंड को एक बाल से आकर्षित करता है जो दोनों पिंडों के द्रव्यमनों के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्यक्त कर्मानुपाती होता है यह बल्ब दोनों विंडो को मिलने वाली रेखा की दिशा में लगता है
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम अनेक ऐसी परिघटनाओं की सफलतापूर्वक व्याख्या करता है जो ए संबंध मानी जाती है
1.हमें पृथ्वी से बांधे रखने वाला बाल
2. पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति
3. सूर्य के चारों ओर ग्रह की गति तथा
4.चंद्रमा तथा सूर्य के कारण ज्वार भाटा
मुक्त पतन का अर्थ जानने के लिए लिए क्रियाकलाप करें
1. एक पत्थर लीजिए इस ऊपर की ओर फेक है यह एक मैसेज ऊंचाई तक पहुंचता है और तब नीचे गिरने लगता है
हम जानते हैं कि पृथ्वी वस्तु को अपनी ओर आकर्षित करती है पृथ्वी के आकर्षण बल को गुरुत्वीय बल कहते हैं
यह समझने के लिए की क्या सभी वास्तविक खोकली यह ठोस पड़ी या छोटी किसी ऊंचाई से समान दर से गिरेगी
हमने पिछले अध्याय में पढ़ा है कि किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व की माप होता है अनुभाग हमने यह भी सीखा है कि जितना अधिक वस्तु का द्रव्यमान होगा उतना ही अधिक उसका जड़त्व भी होगा किसी वस्तु का द्रव्यमान उतना ही रहता है चाहे वस्तु पृथ्वी पर हो चंद्रमा पर हो या फिर बाद अंतरिक्ष में हो इस प्रकार वस्तु का द्रव्यमान स्थिर रहता है तथा एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं बदलता
हम जानते हैं कि पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को एक निश्चित बाल से आकर्षित करती है और यह बोल वास्तु के द्रव्यमान एम तथा पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण त्वरण जी पर निर्भर है किसी वस्तु का भार वह बोल है जिसमें यह पृथ्वी की ओर आकर्षित होती है
हमने सीखा है कि पृथ्वी पर किसी वस्तु का भरवा है बाल है जिससे पृथ्वी उसे वस्तु को अपनी ओर आकर्षित करती है इसी प्रकार चंद्रमा पर किसी वस्तु का भार बाल वह है जिसे चंद्रमा उसे वस्तु को आकर्षित करता है चंद्रमा का द्रव्यमान पृथ्वी की अपेक्षा कम है इस कारण चंद्रमा वस्तु पर काम आकर्षण बल लगता है मान लीजिए किसी वस्तु का द्रव्यमान एम है तथा चंद्रमा पर बाहर व है मान लीजिए चंद्रमा का द्रव्यमान एम ए तथा इसकी त्रिज्या आर एम एम गुरुत्वीय प्रश्न का सर्वाधिक नियम लगाने पर चंद्रमा पर वस्तु का भरा होगा
क्या कभी आपने सोचा है कि ऊंट रेगिस्तान में आसानी से क्यों दौड़ पाते हैं सेवा का टैंक जिसका पर 1000 तन से भी अधिक होता है एक स्वस्थ चैन पर क्या टिका होता है किसी ट्रक या बस के टायर अधिक जोड़े क्यों होते हैं काटने वाले औजारों की दाल तेज क्यों होती है इन प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए तथा इनमें शामिल परी घटनाओं को समझने के लिए दी गई वस्तु पर एक विशेष दिशा में लगने वाले नेट पर परी घटनाओं को समझने के लिए दी गई वस्तु पर एक विशेष दिशा में लगने वाले बंदर की धारणा से परिचय कराना सहायक होगा प्रणोद तथा दाब का अर्थ समझने के
सभी दरिया गैस तरल है तो सपने भर के कारण किसी सतह पर दाग लगता है इसी प्रकार तारों में भी भरा होता है तथा में जिस बर्तन में रखे जाते हैं उसके आधार तथा दीवारों पर दाग लगते हैं किसी परिरोध द्रव्यमान के तरल पर लगाने वाला दाब सभी दिशाओं में बिना घंटे संचालित हो जाता है
पिछले टाइम में हमने एक सरल रेखा में वस्तु की स्थिति विवेक तथा त्वरण के आधार पर वस्तु की गति का वर्णन किया हमने देखा कि ऐसी गति में कभी एक रूपबंता होती है तथा कभी नहीं लेकिन अभी हमने यह चर्चा नहीं की की गति का कारण क्या होता है समय के साथ वस्तु की चाल क्यों बदलता है क्या सभी प्रकार की गतियां का कोई कारण होता है यदि ऐसा है तो इस कारण का स्वभाव क्या है इस अध्याय में हम ऐसी ही सभी जिज्ञासाओं को बुझायेंगे
सर्दियों से गति और इसके कर्ण ने वैज्ञानिकों और दार्शनिकों को उलझा रखा था फर्श पर रखी एक गेंद को धीमी सेट होकर लगाने पर वह हमेशा के लिए गतिशील नहीं रहती ऐसी परिस्थितियों से यह पता चलता है कि किसी वस्तु की विराम की अवस्था की उसकी स्वाभाविक अवस्था है ऐसी मान्यता तब तक बनी रही जब तक की गलियों और विजाग न्यूटन ने वस्तुओं की गति के बारे में एक पुण्यतिथि संकल्पना वस्तु की
अपने प्रतिदिन के जीवन में हमने देखते हैं कि एक स्थिर वस्तु को गति देने के लिए या गतिशील वस्तु को रोकने के लिए हमें कुछ प्रयास करना पड़ता है सामान्य भाषा में इसके लिए हमें शारीरिक प्रयास करना पड़ता है तथा हम कहते हैं कि किसी वस्तु को गति की अवस्था में लाने के लिए हमें उसे खींचना तो खेलने या ठोकर लगाना पड़ता है खींचना तक अकेला ठोकर लगने की इसी प्रक्रिया पर बल की अवधारणा आधारित अब हम बोल के विषय में विचार करते हैं यह क्या है वास्तव में बाल को ना तो किसी ने देखा ना चखा और ना ही महसूस किया हालांकि बाल का प्रभाव हम पहले देखे या महसूस करते हैं किसी वस्तु पर बल लगाने पर क्या होता है यह जानकर हम बाल की व्याख्या कर सकते हैं वस्तु को कितना लगे नेटवर्क पर लगाना यह सभी क्रियाएं वस्तु को गति देने की व्याख्या है हमारे द्वारा किसी तरह का बाल लगाने पर ही उनसे गति होती है
पिछले कक्षा में अर्जित ज्ञान के आधार पर आप इस बात से परिचित है कि किसी वस्तु में वेज का परिमाण बदलने अर्थात वस्तु की गति को तेज या धीमी करने के लिए या उसकी गति की जानते हैं कि किसी बोल के प्रयोग द्वारा वस्तु का कार्य करती भी बदली जा सकती है
वस्तु की किसी अटल प्रगति को देखकर गैलीलियो ने यह निष्क निकला कि जब तक कोई ग्राहक बल कार्य नहीं करता वस्तु एक निश्चित गति से चलती है उन्होंने देखा कि कांच की गोली अनाथ तल पर लुढ़कती है तो उसका वेग बढ़ जाता है अगले अध्याय में आप पढ़ेंगे की गोली संतुलित गुरुत्वीय बल के कारण नीचे गिरती है
प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिर अवस्था या सरल रेखा एक समान गति की अवस्था में बनी रहती है जब तक कि उसे पर कोई बाहरी बाल कार्यरत ना हो
गति का प्रथम नियम यह बताता है कि जब कोई असंतुलित प्रभाव बाल किसी वस्तु पर कार्य करता है तो उसके वेज में परिवर्तन होता है अर्थात वस्तु त्वरण प्राप्त करती है अब हम देखेंगे कि किसी वस्तु का त्वरण उसे पर लगाए गए बल पर कैसे निर्भर होता है तथा उसे बोल को हम कैसे मापते हैं लिए कुछ दैनिक अनुभव का अध्ययन करें टाइटल डालने से खेलने के दौरान यदि केंद्र किसी खिलाड़ी के शरीर से टकराती है तो वह घायल नहीं होता गति से आई हुई क्रिकेट की केंद्र किसी दर्शन को लगने के बाद उसे घायल कर सकती है सड़क के किनारे खड़े किसी ट्रक से कोई दुर्घटना नहीं होती परंतु 5 मीटर सेकंड -1 जैसे कम गति से चलते हुए ट्रक से प्राप्त करती है अब हम देखेंगे कि किसी वस्तु का त्वरण उसे पर लगाए गए बल पर कैसे निर्भर होता है तथा उसे बोल को हम कैसे मापते हैं लिए कुछ दैनिक अनुभव का अध्ययन करें टाइटल डालने से खेलने के दौरान यदि केंद्र किसी खिलाड़ी के शरीर से टकराती है तो वह घायल नहीं होता गति से आई हुई क्रिकेट की केंद्र किसी दर्शन को लगने के बाद उसे घायल कर सकती है सड़क के किनारे खड़े किसी ट्रक से कोई दुर्घटना नहीं होती परंतु 5 मीटर सेकंड -1 जैसे कम गति से चलते हुए ट्रक से कोई दुर्घटना नहीं होती परंतु 5 एस -1 जैसी कम गति से चलते हुए ट्रक से टक्कर रास्ते में खड़े किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बन सकता है एक छोटे द्रव्यमान की वस्तु जैसे गोली को अगर बंदूक से तेल वेग से छोड़ जाए तो वह भी किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बन सकती है इससे पता चलता है की वस्तु के द्वारा उत्पन्न प्रभाव वास्तु के द्रव्यमान एवं वेज पर निर्भर करता है इसी प्रकार यदि किसी वस्तु को टार्बेट किया जाता है तो अधिक वेज प्राप्त करने के लिए अधिक बल की आवश्यकता होती है दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं की वस्तु के द्रव्यमान एवं वेग से संबंधित एक महत्वपूर्ण राशि होती है स्वैग नामक इस राशि को न्यूटन नेट प्रस्तुत किया था किसी वस्तु का श्वेत भी उसके द्रव्यमान एवं और वेज भी के गुणनफल से परिभाषित किया जाता है
पहले दोनों सूक्ति के नियमों से हमें ज्ञात होता है कि कोई प्रयुक्त बाल वस्तु की गति की अवस्था में परिवर्तन लाता है तथा इसे हमें बाल को मापने की विधि भी प्राप्त होती है गति के तीसरे नियम के अनुसार जब एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बाल लगती है तब दूसरी वस्तु द्वारा भी पहले वस्तु पर दांत सैनिक बल लगाया जाता है यह दोनों बाल परिणाम में सदैव सामान लेकिन दिशा में परिवर्तित होते हैं इसका तात्पर्य यह है कि बल सदैव युगल रूप मैं होते हैं यह बोल कभी एक वस्तु पर एक कार्य नहीं करते बल्कि दो अलग-अलग वस्तु पर कार्य करते हैं फुटबॉल के खेल में परी है हम गेंद को तेज गति से की करने के क्रम में विश्व की टीम के खिलाड़ी से टकरा जाते हैं इस क्रम में दोनों खिलाड़ी एक दूसरे पर बाल लगते हैं अतः दोनों ही खिलाड़ी चोटिल होते हैं दूसरे शब्दों में किसी अकाल बाल का अस्तित्व नहीं होता बल्कि यह सदैव युगल रूप में होते हैं इन दोनों विरोधी बलों का क्रिया तथा प्रतिक्रिया बल कहा जाता है
Read Full Blog...मुंबई की एक सभा में सिंह की तरह गुजरते हुए एक देशभक्त ने कहा था कि अंग्रेज भारत को जितनी जल्दी आजाद करते उतना ही अच्छा यदि तेरी की गई तो यह उन्हीं के लिए खराब बात होगी यह सिंह गर्जना करने वाले व्यक्ति थे लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल
वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के पेटलाद तालुके के कर्मचारी गांव में हुआ था उनके पिता का नाम जाबिर भाई पटेल और माता का नाम लदबाई था जबर भाई की शान थे
सरदार पटेल के बचपन की एक घटना है उनकी आंख के पास एक फोड़ा निकल आया बहुत दवा दी गई पर ठीक ना हुआ किसी व्यक्ति ने सलाह दी की लोहे की सलाह खूब गर्म करके फोड़ में दशा दी जाए तो फोड़ा फूट जाएगा साला एक सालख गम की गई किंतु किसी मैं यह साहस न होता था कि ग्राम सलाह को फोड में दर्शन है यह था कि कहीं आंख में ना लगे इस पर बालक बालम ने कहा देखे क्या हो चालक ठंडी हो रही है और फिर स्वयं ही उसे लेकर फोड़ में दशा लिया बालक के इस साहस को देखकर उपस्थित लोगों ने कहा कि है बालक आगे चलकर बहुत ही साहसी होगा 22 वर्ष की उम्र में नारीवाद स्कूल से मैट्रिक परीक्षा पास की फिर मुख्य थारी परीक्षा पास करके गोधरा में मुक्तरी करने लगे
कुछ समय बाद बल्लम भाई वकालत पढ़ने के लिए प्रदेश चले गए जहां वह रहते थे वहां से पुस्तकालय 11 मील दूर थी वह नृत्य प्रति सवेरे उठकर उसे पुस्तकालय में जाते और शाम को पुस्तकालय के बंद होने पर ही वहां से उठने अपने इसी अध्ययन के फल स्वरुप है उसे साल वकालत की परीक्षा में सर्वप्रथम रहे इस पर इन्हें 50 बोर्ड का पुरस्कार भी मिला
विदेश से लौटकर वह अहमदाबाद में वकालत करने लगे और थोड़ी ही समय में अत्यंत प्रसिद्ध हो गए इसी समय वह गांधीजी के संपर्क में आए उन्होंने वकालत छोड़ दी और पूरी तरह तन मन से धन से देश की सेवा में जुट गए
सर्वप्रथम वल्लभभाई पटेल ने गोधरा में हुई भारतीय राजनीति सम्मेलन में गुजरात की बेकार प्रथा को समाप्त करने के लिए एक प्रस्ताव पास कराया इस सम्मेलन में पहली बार भारतीय भाषाओं का सत्याग्रह का नृत्य विज्ञान इस सत्याग्रह के कारण अंग्रेज सरकार को समझौते के लिए झुकना पड़ा इस सत्याग्रह के बाद उनका नाम सारे भारत में फैल गया
सन 1927 में बारडोली का प्रसिद्ध सत्याग्रह शुरू किया किसानों पर सरकार ने लग्न की दर बढ़ा दी किसान वल्लभभाई पटेल के पास गए इस तरह उनके नित्य में आंदोलन प्रारंभ हो गया उन्होंने गांव वालों को इस तरह संगठित किया कि लगन मिलना तो दूर गांव में अंग्रेज अफसर को भोजन लिया है और सवारी तक मिलना मुश्किल हो गया
अंग्रेज सरकार ने इसके विरोध में बहुत अत्याचार किए गरीब किसानों के घरों के तले फौजी के जरिए तुड़वाकर सम्मान शब्द करके मालगुजारी वसूल करने की कोशिश की गई पर सरकारी खजाने में एक कोढ़ी भी जमाना हुई हजारों लोग जेल गए उसकी गाय भैंस तक जप्त कर ली गई पर इन्होंने सर न झुकाया यहां तक कि जब तक किए गए सामान को उठाने वाला कोई मजदूर नहीं मिलता था और ना जप्त की गई जायदाद की नीलामी में बोली लगाने वाला कोई आदमी महीना तक यही हाल रहा अंत मे सरकार को झुकना पड़ा
सन 1929 में लाहौर में पूर्ण स्वराज की मांग की गई अंग्रेज सरकार ने इसे नहीं माना गांधीजी ने फिर से सत्याग्रह का नारा दिया और 12 मार्च को प्रसिद्ध दाढ़ी यात्रा शुरू कर दी इसके बाद 6 अप्रैल को नमक कानून तोड़कर उन्होंने नमक सत्याग्रह आरंभ किया सरदार पटेल ने इस सत्याग्रह में भाग लिया वह गिरफ्तार कर लिए गए और उनको तीन माह की कैद और ₹500 जुर्माना की सजा दी गई सरदार पटेल ने जुर्माना स्वीकार न कर उसके स्थान पर तीन सप्ताह और जेल में ही काटे
सन 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ हो गया अंग्रेज सरकार ने अपनी ओर से भारत के इस युद्ध में शामिल होने की घोषणा कर दी इसका स्वतंत्र विरोध हुआ सरदार पटेल 17 नवंबर 1940 को व्यक्तिगत सत्याग्रह के दौरान गिरफ्तार हुए पर स्वास्थ्य खराब होने के कारण 9 महीने बाद रिहा कर दिए गए भारत छोड़ो आंदोलन के सिलसिले में अगस्त 1942 में वह फिर गिरफ्तार किए गए अन्य सभी नेताओं के साथ 15 जून 1945 को वह भी छोड़े गए
15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ सरदार पटेल ने गृहमंत्री का कार्य भार संभाला स्वतंत्रता के बाद देश के सामने कई समस्या आई सरदार पटेल ने अपनी सूझबूझ से इन सभी पर काबू पा लिया
जिस कार्य के लिए सरदार पटेल को सदैव याद किया जाएगा वह था देसी रियासतों का एकीकरण जब अंग्रेज भारत छोड़कर जाने लगे तो देशी रियासतों को यह आजादी दे गई कि वह चाहे तो आजाद रह सकते हैं चाहे तो भारत या पाकिस्तान में मिल जाए सरदार पटेल ने इस वक्त समस्या को अपनी दानदाता और सूझबूझ से हल कर दिखाया और लगभग 600 रियासतों को भारतीय संघ का ऑटो टांग बनाकर भारत के मानचित्र को नवीन स्वरूप प्रदान किया संपूर्ण भारत में एकता स्थापित हो गई इसलिए उन्हें भारत का लोह पुरुष कहा जाता है
सरदार पटेल स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात केवल ढाई वर्ष जीवित रहे वह अंतिम समय तक कठिन परिश्रम करते रहे 15 दिसंबर 1950 को दिल के दौरे से मुंबई में उनका निधन हो गया भारत निर्माण में सरदार वल्लभ भाई के अभिशमीरानिए योगदान के कारण वर्ष 1991 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया
सरदार पटेल की सफलता का मूल मंत्र था कर्तव्य पालन और कठोर अनुसार अपने 75वें जन्मदिवस पर उन्होंने राष्ट्र को संदेश दिया था उत्पादन बढ़ाओ खर्च घटाओ और अपने बिल्कुल ना करो
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केचुआ और खरगोश में गहरी मित्रता थी दोनों साथ-साथ रहते और खेलते थे एक खरगोश ने कछुए से कहा मित्र क्यों ना एक दिन हमारी तुम्हारी दौड़ हो जाए मैं तैयार हूं कछुआ बोला दोनों ने अपने साथियों को बुलाकर दौड़ का रास्ता और गंतव्य स्थल तय किया फिर एक निश्चित दिन पर दौड़ की घोषणा हुई
दौड़ के दिन की घोषणा होने पर खरगोश एकदम निश्चित था उसे पूरा विश्वास था कि कछुआ उसे तोड़ जीत ही नहीं पाएगा उधर केछुए ने अपनी तैयारियां तेज कर दी वह दौड़ जीतने को लेकर योजना बनाने में जुड़ गया
तोड़ के लिए निश्चित दिन पर कछुआ और खरगोश निर्धारित स्थान पर दौड़ के लिए उपस्थित हुए गिलहरी ने सीटी बजाकर दौड़ प्रारंभ की कछुआ धीरे-धीरे चला जबकि खरगोश तेजी से तोड़ता हुआ बहुत आगे निकल गया एक पेड़ के पास पहुंचकर खरगोश ने सोचा कि कछुआ तो अभी बहुत पीछे होगा क्यों ना में थोड़ी देर पेड़ की छाया में आराम कर लो उसे विश्वास था कि कुछ देर बाद वह तेज रफ्तार में तोड़कर अपने गंतव्य स्थान तक कछुए से पहले ही पहुंच जाएगा खरगोश पेड़ की छाया में बैठ गया मंद मंद पवन बह रही थी पेड़ पर चिड़िया कहचहा रही थी ऐसे सुहाने वातावरण में खरगोश को नींद आ गई उधर कछुआ अपनी मंद गति से लगातार गणतर की ओर चला रहा
गंदा स्थान पर पहुंचकर कछु नहीं इधर-उधर देखा उसे खरगोश कहानी दिखाई ना दिया उधर खरगोश की नींद खुली तो उसने गार्डन घूमर दूर तक देखा उसे कछुआ कहीं नहीं अरे अभी कछुआ यहां तक पहुंचा ही नहीं खरगोश ने सोचा और जनता की और तेजी से दौड़ चला गंडक स्थल पर पहुंच कर देखता है कि कछुआ वहां पहले से ही मौजूद है और उसे तमाम जानवर मलाई पहन रहे हैं
इस पाठ से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी किसी को कमजोर नहीं समझना चाहिए
Read Full Blog...महान संत स्वामी रामतीर्थ एक बार जापान गए में रेल में यात्रा कर रहे थे एक दिन ऐसा हुआ कि उन्हें खाने को फल ना मिले उन दिनों फल ही उनका भोजन था गाड़ी एक स्टेशन पर तेरी उन्होंने स्टेशन पर फलों की खोज की किंतु का ना सके उनके मुंह से अचानक निकल जापान में शायद फल नहीं मिलते
एक जापानी युक्त प्लेटफार्म पर खड़ा था उसने यह शब्द सुन लिया सुनते ही वह भाग और कहीं से एक फल की टोकरी उन्हें लाकर दी उसने में फल स्वामी रामदेव को भेंट किया और कहा लीजिए आपको फलों की जरूरत थी
स्वामी जी ने समझाया है कोई फल बेचने वाला है उन्होंने उसे फूलों के दाम पूछे पर उसने दम लेने से इनकार कर दिया बहुत एग्री करने पर उसने कहा आप इनका मूल्य देने ही चाहते हैं तो अपने देश में जाकर किसी से यह ना रहेगा कि जापान में फल नहीं मिलते स्वामी जी युवक का यह उत्तर सुनकर मुकंद हो गई उसे युवक ने अपने इस कार्य से अपने देश का गौरव ना जाने कितना बढ़ा दिया
इस गौरव की ऊंचाई का अनुमान दूसरी घटना सुनकर ही पूरी तरह लगाया जा सकता है किसी देश का एक युवक जापान में शिक्षा लेने आया एक दिन वह सरकारी पुस्तकालय से कोई पुस्तक पढ़ने के लिए लाया इस पुस्तक में कुछ दुर्बल चित्र थे इन चित्रों को अन युवक ने पुस्तक में से निकाल लिया और पुस्तक का वापस कर दी किसी जापानी विद्यार्थी ने उसे देख लिया और पुस्तकालय परपरी को इसकी सूचना दे दी पुलिस ने तलासिक लेकर चित्र उसे विद्यार्थी के कमरे से बरामद किए और उसे विद्यार्थी को जापान से निकाल दिया अपराधी को दंड मिलना ही चाहिए पर मामला यहीं नहीं रुका और उसे पुस्तकालय के बाहर बोर्ड पर लिख दिया गया की पुस्तकालय में इस विद्यार्थी का प्रवेश तो वर्जित है ही उसके देश के निवासियों का भी प्रवेश वर्जित है
जहां एक युवक ने अपने काम से अपने देश का सिर ऊंचा किया था वही दूसरे युवक ने अपने काम से अपने देश के मस्तक पर कलंक का ऐसा टीका लगाया जो न जाने कितने वर्षों तक संसार की आंखों में उसे लांछित करता है
जब हम कोई हैं या बुरा काम करते हैं तो हमारे माथे पर ही कलाम का टीका नहीं लगता बल्कि देश काफी सिग्नेचर होता है और उनकी प्रतिष्ठा गिरती है जब हम कोई श्रेष्ठ कार्य करते हैं तो उसे हमारा ही सर नहीं ऊंचा होता बल्कि देश का भी सिर ऊंचा होता है और उसका गौरव बढ़ता है इसलिए हमें कोई ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे देश की प्रतिष्ठा पर आच आए
क्या आप जल्दी रेलवे में मुसाफिरखाना में कल वह में चप्पलों पर और मोटर वर्षों में कभी ऐसी चर्चा करते हैं कि हमारे देश में यह नहीं हो रहा है वह नहीं हो रहा है और यह गड़बड़ है यह परेशानी है साथ ही क्या आप अपने देश की तुलना किसी अन्य देश के साथ करते हैं कि कौन सा देश श्रेष्ठ है और कौन सा देश ही है यदि हां तब आपको चिंता होगी कि देश की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए हमें क्या करना चाहिए
क्या आप कभी केला खाकर छिलका रास्ते में फेंकते हैं?अपने घर का कूड़ा बाहर फेंकते हैं?अब शब्दों का प्रयोग करते हैं? इधर की उधर उधर की इधर लगते हैं? अपने घर दफ्तर गली को गंदा रखते हैं?होटल धर्मशाला में या दूसरे ऐसे ही स्थान में जिलों में कानून में पिक होते हैं? उत्सव मेला रेलवे और खेलों में फिल्म खेल करते हैं? नियंत्रित होने पर विलंब से पूछते हैं? या वचन देकर भी घर आने वाले को समय पर नहीं मिलते और इसी तरह सिस्ट व्यवहार के विपरीत आचरण करते हैं?
यदि आपका उत्तर हां है तो आपके द्वारा देश के सम्मान को भयंकर आघात लगा रहा है और राष्ट्रीय संस्कृत को गहरी चोट पहुंच रही है यदि आपका उत्तर नहीं है तो आपके द्वारा देश का सम्मान बढ़ेगा और संस्कृति भी सुरक्षित रहेगी
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कुछ लोग उसे सनकी कहते हैं और कुछ जुनून नहीं तो कुछ और मगर रम्य को इससे फर्क नहीं पड़ता वह अपनी साइकिल पर डेरो पौधे लिए रोज सुबह घर से निकल पड़ता है गीत गाता है और सबसे पेड़ लगाने को कहता है रम्य अपने सपने की धुन में मगन है उसका सपना है हरी भरी धरती का जंगल बचाने का पेड़ लगाने का रम्य जानता है कि इस सपने को कैसे पूरा करना है किसी की शादी हो तो उपहार में पौधा देता है जन्मदिन हो तो पौधा भेंट करता है जहां जो भी मिल जाए तो उसे एक पौधा थमा देता है
कई लोगों को उसे पर शक हुआ कि कौन है यह आदमी? कुछ दिन पहले तक तो गुजरे के लिए दूध बेचता था और उसे दूध के साथ-साथ पौधे भी लिए घूमता है कुछ लोगों की शिकायत पर वन विभाग के अधिकारियों ने उसे बुलवाया अधिकारी कुछ पूछ पाते उससे पहले ही रम्य ने एक पौधा उनकी और बढ़ाया और बोला जी पहले यह नीम का पौधा दीजिए दांतों के लिए इसकी दातुन बहुत ही लाभदायक होती है इसके पत्ते जलाने से मच्छर दूर भाग जाते हैं यह है पौधा अपने घर के पास में लगाइएगा अधिकारी ने और कुछ पूछने की जरूरत नहीं समझी
रम्य का यह जुनून कैसे शुरू हुआ इसके पीछे भी एक कहानी है वैसे तो उसे बचपन से पेड़ पौधे पसंद थे मगर अपने मास्टर जी की एक बात उसे हमेशा याद रही मास्टर जी कहते थे पेड़ हमें ताजी हवा फल फूल छाया और बहुत कुछ देते हैं जबकि बदले में बहुत थोड़ी सी देखभाल मांगते हैं इंसान होता तो इतना सब देने की बड़ी कीमत मांगता लांबिया ने कागज का नोट बनाकर उसे पर पेड़ों की तस्वीर लगाई और उसके नीचे लिखा पेड़ की कीमत पैसों से बढ़कर है
एक बार राम्या की बेटी को तेज सिर दर्द हुआ दवा लेने पर कुछ दिन तो ठीक रही लेकिन फिर यह दर्द रोग होने लगा रम्य ने कारण खोज तो पता चला की बेटी के स्कूल में बाहर बैठकर पढ़ाई होती है वहां पेड़ नहीं है ज जिसके कारण उसकी बेटी ही नहीं बल्कि कई बच्चों के साथ ऐसा हो रहा था रम्य ने सोचा कि क्यों ना वहां पर इतने पौधे लगा दिए जाए कि बच्चे छांव में बैठकर पड़े यही विचार रम्य के जुनून का कारण बन गया रम्य अपने हाथों से अब तक सैकड़ो पौधे लगा चुका है स्कूल दफ्तर मस्जिद मंदिर जहां भी जाता है पेड़ के गुण बताता है नए-नए तरीके से लोगों को पेड़ लगाने के लिए मानता है उसने बेटी बेटा की शादी के कार्ड पर पेड़ों के महत्व का संदेश लिखा नारा लगाया-" धरती का अब करो श्रृंगार पेड़ लगाओ सब दो चार
रम्य के इस जुनून में धीरे-धीरे बहुत लोग शामिल हो रहे हैं वह कहते हैं मैं कहते हैं ₹10 मिल जाए तो धरती पर चाहे जंगल भर जाए खुशहाली आ जाए
एक बार एक जंगल में आग लग गई सभी जानवर आग बुझाने में जुट गए जिसके हाथ में जो भी पत्र आया वह उसमें पानी भरकर आग में डालने लगा सभी को आग बुझाने में झूठा देख एक नई गोरिया भी अपनी च** में पानी भर भर कर आग में डालने लगी
एक कौवा दूर सुरक्षित दल पर बैठा तमाशा देख रहा था वह गोरिया के पास आकर बोला नन्ही गुड़िया क्यों बेकार में मेहनत कर रही हो? तुम्हारी नानी चूचू का बूंद भर पानी इस भयंकर आग को बुझाने में क्या सहायता कर?
गोरिया बोली यह तो मैं भी जानती हूं परंतु यदि कभी इस आज के बारे में बातें होगी तो मेरा नाम आग लगाने वालों अथवा तमाशा देखने वालों में नहीं बल्कि आग बुझाने वालों में लिया जाएगा
इस पाठ से हमें यह सीख मिलती है कि जब कोई भी परिस्थिति हो तो हमें मिलकर काम करना चाहिए ना कि तमाशा देखना चाहिए
Read Full Blog...2. ओपन ऑफिस आर्ग का जर्मन (1999 से 1910)
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2. ओपन ऑफिस आर्ग का जर्मन (1999 से 1910)
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